Class 10th Science प्रकाश परावर्तन एवं अपवर्तन पूरी चैप्टर नोट्स हिंदी में || 2023 NCERT Science Class 10th Notes In Hindi

महत्वपूर्ण Headings

प्रकाश परावर्तन एवं अपवर्तन पूरा चैप्टर नोट्स

प्रकाश की परिभाषा

प्रकाश एक प्रकार की ऐसी ऊर्जा है जो हमारे दृष्टि ज्ञान को जागृत करता है अर्थात प्रकाश की उपस्थिति में ही हम अपने आसपास की सभी वस्तुओं को देख पाते हैं मतलब किसी भी वस्तु को देखने के लिए प्रकाश की आवश्यकता पड़ती है प्रकाश को हम देख नहीं सकते लेकिन इसका अनुभव कर सकते हैं

ठीक उसी प्रकार जिस प्रकार ऑक्सीजन को हम देख नहीं सकते हैं लेकिन ऑक्सीजन की उपस्थिति में ही हम सांस ले पाते हैं और ऑक्सीजन के बिना हम जीवित नहीं रह सकते हैं

प्रकाश का परावर्तन

प्रकाश का परावर्तन – प्रकाश की किरण जब किसी चिकने तल से टकराता है तो टकराने के बाद प्रकाश की अधिकांश किरणें उसी माध्यम में वापस लौट जाती है जिस माध्यम से वह आई होती है प्रकाश किरण के चिकने तल से टकराकर वापस लौटने की इस घटना को प्रकाश का परावर्तन कहते हैं।

प्रकाश के परावर्तन नियम

प्रकाश के परावर्तन के दो नियम हैं जिनको नीचे समझाया गया है

1- आपतित किरण, आपतन बिंदु पर अभिलंब तथा परावर्तित किरण तीनों एक ही तल में होते हैं

2- आपतन कोण ( i ) तथा परावर्तन कोण ( r ) सदैव बराबर होते हैं

प्रतिबिंब की परिभाषा

किसी वस्तु के किसी बिंदु से चलने वाली प्रकाश किरणे परावर्तन या अपवर्तन के बाद जिस बिंदु पर मिलती हैं या मिलती हुई प्रतीत होती हैं उस बिंदु को प्रथम बिंदु का प्रतिबिंब कहते हैं प्रतिबिंब को आसान भाषा में छाया कहा जाता है

प्रतिबिंब दो प्रकार के होते हैं

1- वास्तविक प्रतिबिंब ( Real Image )

किसी वस्तु के किसी बिंदु से चलने वाली प्रकाश किरणे परावर्तन के पश्चात किसी दूसरे बिंदु पर वास्तव में मिलती हैं तो उस समय बनने वाले प्रतिबिंब को वास्तविक प्रतिबिंब कहते हैं वास्तविक प्रतिबिंब को पर्दे पर उतारा जा सकता है वास्तविक प्रतिबिंब हमेशा उल्टा बनता हऐ

2- आभासी प्रतिबिंब

वस्तु के किसी बिंदु से चलने वाली प्रकाश के परावर्तन के पश्चात किसी दूसरे बिंदु पर वास्तव में नहीं मिलती है परंतु मिलती हुई प्रतीत होती हैं तो ऐसे प्रतिबिंब को आभासी प्रतिबिंब कहते हैं आभासी प्रतिबिंब को पर्दे पर प्राप्त नहीं किया जा सकता है आभासी प्रतिबिंब हमेशा सीधा बनता है

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दर्पण की परिभाषा

यदि किसी चिकने पारदर्शी तल के एक पृष्ठ पर पॉलिश कर दी जाए अथवा लाल ऑक्साइड का लेप कर दिया जाए और दूसरा पृष्ठ परावर्तक बना दिया जाए तो वह निकाय दर्पण कहलाता है

दर्पण दो प्रकार के होते हैं

समतल दर्पण
गोलीय दर्पण

समतल दर्पण की परिभाषा

ऐसे दर्पण जिनका परावर्तक पृष्ठ समतल होता है समतल दर्पण कहलाता है इसको अंग्रेजी में प्लेन मिरर भी कहते हैं

गोलीय दर्पण की परिभाषा

ऐसे दर्पण जिनका परावर्तक पृष्ठ गोली होता है गोलीय दर्पण कहलाताहै गोलीय दर्पण कांच के खोखले गोले का काटा गया भाग होता है इसके एक तल पर पॉलिश की जाती है और दूसरा तल परावर्तक होता है

गोलीय दर्पण दो प्रकार के होते हैं

अवतल दर्पण
उत्तल दर्पण

अवतल दर्पण की परिभाषा

ऐसा दर्पण जिसमें प्रकाश का परावर्तन दबे हुए पृष्ठ से होता है और उभरे हुए पृष्ठ पर पॉलिश की गई होती है अवतल दर्पण कहलाता है अवतल दर्पण को अभिसारी दर्पण भी कहते हैं अवतल दर्पण को अंग्रेजी में कौनकेव मिरर कहते हैं

उत्तल दर्पण की परिभाषा

ऐसा दर्पण जिसमें प्रकाश का परावर्तन उभरे हुए पृष्ठ से होता है और दबे हुए पृष्ठ पर पॉलिश की गई होती है उत्तल दर्पण कहलाता है उत्तल दर्पण को अपसारी दर्पण भी कहते हैं उत्तल दर्पण को अंग्रेजी में कन्वैक्स मिरर कहते हैं

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दर्पण से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण परिभाषाएं

दर्पण का ध्रुव किसे कहते हैं ?

गोलीय दर्पण के परावर्तक तल के मध्य बिंदु को ध्रुव कहते हैं इसे P से प्रदर्शित करते हैं

वक्रता केंद्र किसे कहते हैं ?

गोलीय दर्पण कांच के जिस खोखले गोले का भाग होता है उस गोले के केंद्र को गोलीय दर्पण का वक्रता केंद्र कहते हैं इसे C से प्रदर्शित करते हैं

वक्रता त्रिज्या किसे कहते हैं ?

वक्रता केंद्र से दर्पण के ध्रुव तक की दूरी दर्पण की वक्रता त्रिज्या कहलाती है

मुख्य अक्ष किसे कहते हैं ?

गोलीय दर्पण के ध्रुव तथा वक्रता केंद्र को मिलाने वाली सीधी रेखा गोलीय दर्पण के मुख्य अक्ष कहलाती है

मुख्य फोकस किसे कहते हैं

गोलीय दर्पण के मुख्य के समांतर आने वाली किरणे परावर्तन के पश्चात जिस बिंदु पर मिलती हैं या मिलती हुई प्रतीत होती हैं उस बिंदु को हम दर्पण का मुख्य फोकस कहते हैं इसे F से प्रदर्शित करते हैं

फोकस दूरी किसे कहते हैं ?

दर्पण के ध्रुव से मुख्य फोकस तक की दूरी को दर्पण की फोकस दूरी कहते हैं इसे f से प्रदर्शित करते हैं दर्पण की फोकस दूरी (f) और वक्रता त्रिज्या (R) में निम्न संबंध होता है\

f= R/2

अवतल दर्पण द्वारा प्रतिबिंब का बनना

S.Nवस्तु की स्थितिप्रतिबिंब की स्थितिप्रतिबिंब की प्रकृति एवं आकार
1अनंत परफोकस तल मेंवास्तविक उल्टा तथा वस्तु से छोटा
2अनंत तथा वक्रता केंद्र के बीचफोकस तथा वक्रता केंद्र के बीचवास्तविक उल्टा तथा वस्तु से छोटा
3वक्रता केंद्र परवक्रता केंद्र परवास्तविक उल्टा तथा वस्तु के बराबर
4वक्रता केंद्र तथा मुख्य फोकस के बीचवक्रता केंद्र तथा अनंत के बीचवास्तविक उल्टा तथा वस्तु से बड़ा
5फोकस परअनन्त परवास्तविक उल्टा तथा वस्तु से बहुत बड़ा
6मुख्य फोकस तथा ध्रुव के बीचदर्पण के पीछे अनंत तथा ध्रुव के बीचआभासी सीधा तथा वस्तु से बड़ा

उत्तल दर्पण द्वारा प्रतिबिंब का बनना

S.Nवस्तु की स्थितिप्रतिबिंब की स्थितिप्रतिबिंब की प्रकृति एवं आकार
1अनंत परफोकस तल में दर्पण के पीछेआभासी सीधा तथा वस्तु से छोटा
2अनंत तथा वक्रता केंद्र के बीचफोकस तथा वक्रता केंद्र के बीचआभासी सीधा तथा वस्तु से छोटा

अवतल दर्पण तथा उत्तल दर्पण के उपयोग

अवतल दर्पण का उपयोग

अवतल दर्पण का उपयोग मोटरकारों, रेलवे इंजनो, स्टीमरो तथा सर्चलाइट, लैंपो में परावर्तक के रूप में, डॉक्टरों द्वारा आंख नाक तथा गले आदि की जांच करने में, सौर कुकर इत्यादि में किया जाता है

उत्तल दर्पण का उपयोग

उत्तल दर्पण का उपयोग गली तथा बाजारों में लगे लैंपो के ऊपर किया जाता है इसका उपयोग वाहन में पीछे के दृश्य को देखने के लिए भी किया जाता है

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गोलीय दर्पण के लिए चिन्ह परिपाटी

दर्पण uvf
अवतल दर्पणहमेशा (-ve) हमेशा (-ve) लेकिन जब प्रतिबिंब दर्पण के पीछे बनता है तब v का मान (+ ve) लेते हैंहमेशा (-ve)
उत्तल दर्पणहमेशा (-ve) हमेशा (+ve) हमेशा (+ve)

गोलीय दर्पण के लिए u , v तथा f में संबंध

दर्पण से वस्तु की दूरी = u
दर्पण से प्रतिबिंब की दूरी = v
दर्पण की फोकस की दूरी = f

इन तीनों के बीच संबंध प्रदर्शित करने वाला समीकरण दर्पण सूत्र के नाम से जाना जाता है जो निम्न है

1/f = 1/v + 1/u

प्रकाश का अपवर्तन

जब प्रकाश एक माध्यम से दूसरे माध्यम में जाती है तो अपने मार्ग से विचलित हो जाती है इस घटना को प्रकाश का अपवर्तन कहते हैं प्रकाश के अपवर्तन का कारण प्रकाश की चाल का विभिन्न माध्यमों में भिन्न-भिन्न होना है

अपवर्तन नियम हैं

प्रकाश के अपवर्तन के दो नियम हैं

1- आपतित किरण, अपवर्तित किरण तथा आपतन बिंदु पर अभिलंब तीनों एक ही तल में होते हैं

2- आपतन कोण ज्या (sin i) तथा अपवर्तन कोण की ज्या (sin r) का अनुपात एक नियतांक होता है जिसे माध्यम का अपवर्तनांक कहते हैं

इसे स्नेल का नियम भी कहते हैं तथा इस नियतांक को पहले माध्यम के सापेक्ष दूसरे माध्यम का अपवर्तनांक कहते हैं

अपवर्तनांक का प्रकाश की चाल से संबंध

किसी माध्यम का अपवर्तनांक, निर्वात अथवा वायु में प्रकाश की चाल व उस माध्यम में प्रकाश की चाल के अनुपात के बराबर होता है

n = c/v

लेंस की परिभाषा

ऐसा पारदर्शी माध्यम जो दो गोलीय पृष्ठों या एक गोलीय तथा एक समतल पृष्ठ से घिरा होता है लेंस कहलाता है

लेंस दो प्रकार के होते हैं

अवतल लेंस
उत्तल लेंस

अवतल लेंस की परिभाषा

ऐसा लेंस जो बीच में पतला तथा किनारों पर मोटा होता है अवतल लेंस कहलाता है

उत्तल लेंस की परिभाषा

ऐसा लेंस जो बीच में मोटा तथा किनारों पर पतला होता है उत्तल लेंस कहलाता है

लेंस से संबंधित कुछ परिभाषाएं

प्रकाशिक केंद्र किसे कहते हैं है ?

लेंस के मुख्य अक्ष पर स्थित वह बिंदु जिससे होकर जाने वाली प्रकाश की किरणें अपवर्तन के पश्चात बिना विचलित हुए सीधे निकल जाती है प्रकाशिक केंद्र कहलाता है इसे O से प्रदर्शित करते हैं

वक्रता केंद्र किसे कहते हैं है ?

उत्तल लेंस और अवतल लेंस के गोलीय पृष्ठ जिस गोले के भाग होते हैं उस गोले के केंद्र को लेंस का वक्रता केंद्र कहते हैं

वक्रता त्रिज्या किसे कहते हैं है ?

लेंस जिस गोले का भाग होता है उस गोले की त्रिज्या को लेंस की वक्रता त्रिज्या कहते हैं

मुख्य अक्ष किसे कहते हैं ?

लेंस के दोनों गोलिय पृष्ठों के वक्रता केंद्रों से गुजरने वाली एक काल्पनिक सीधी रेखा को लेंस का मुख्य अक्ष कहते हैं

मुख्य फोकस किसे कहते हैं ?

लेंस में दो फोकस होते हैं प्रथम फोकस f1 और द्वितीय फोकस f2

गोलीय पृष्ठ के मुख्य अक्ष पर स्थित वह बिंदु जिस से गुजरने वाली प्रकाश की किरणें अपवर्तन के पश्चात मुख्य अक्ष के समांतर हो जाती हैं उस बिंदु को प्रथम फोकस कहते हैं

लेंस के मुख्य अक्ष के समांतर चलने वाली प्रकाश के अपवर्तन के पश्चात जिस बिंदु पर मिलती है या मिलती हुई प्रतीत होती है उस बिंदु को द्वितीय फोकस कहते हैं

फोकस दूरी किसे कहते हैं ?

लेंस के प्रकाशिक केंद्र व फोकस के मध्य दूरी को फोकस दूरी कहते हैं

अभिसारी या उत्तल लेंस द्वारा प्रतिबिंब का बनना

S.Nवस्तु की स्थितिप्रतिबिंब की स्थितिप्रतिबिंब की प्रकृति एवं आकार
1अनंत परद्वितीय फोकस तल मेंवास्तविक उल्टा तथा वस्तु से छोटा
2अनंत तथा 2f1 के बीचf2 तथा 2f2 के बीचवास्तविक उल्टा तथा वस्तु से छोटा
32f2 पर2f2 परवास्तविक उल्टा तथा वस्तु के बराबर
42f2 तथा f1 के बीच2f2 तथा अनन्त के बीचवास्तविक उल्टा तथा वस्तु से बड़ा
5प्रथम फोकस f1 परअनंत परवास्तविक उल्टा तथा वस्तु से बहुत बड़ा
6प्रथम फोकस f1 तथा प्रकाशिक केंद्र के बीचवस्तु की ओर ही अनंत तथा फोकस के बीचआभासी सीधा तथा वस्तु से बड़ा

अपसारी या अवतल लेंस द्वारा प्रतिबिंब का बनना

S.Nवस्तु की स्थितिप्रतिबिंब की स्थितिप्रतिबिंब की प्रकृति एवं आकार
1अनंत परf2 परआभासी सीधा तथा वस्तु से अत्यंत छोटा
2अनंत तथा प्रकाशिक केंद्र के बीचf2 तथा प्रकाशिक केंद्र के बीचआभासी सीधा तथा वस्तु से छोटा

लेंस के उपयोग

उत्तल लेंस के उपयोग

उत्तल लेंस का उपयोग विभिन्न प्रकाशिकी यंत्रों जैसे दूरदर्शी सूक्ष्मदर्शी एवं डॉक्टर के द्वारा आंख व नाक की जांच करने के लिए किया जाता है इसके अलावा दूर दृष्टि दोष को दूर करने के लिए चश्मे में उत्तल लेंस का प्रयोग किया जाता है

अवतल लेंस के उपयोग

अवतल लेंस का उपयोग डॉक्टर के द्वारा विभिन्न जांचों में किया जाता है इसके अलावा अवतल लेंस का उपयोग निकट दृष्टि दोष को दूर करने के लिए किया जाता है

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प्रकाश चैप्टर के 40 महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर MCQ’s

गोलीय लेंसों के लिए चिन्ह परिपाटी

लेंस uvf
अवतल लेंस हमेशा (-ve) हमेशा (-ve) हमेशा (-ve)
उत्तल लेंसहमेशा (-ve) हमेशा (+ve) सिर्फ एक स्थिति में v का मान (-ve) होता है जो प्रतिबिंब वस्तु की ओर ही बनता हैहमेशा (+ve)

लेंस सूत्र क्या है ?

लेंस से वस्तु की दूरी = u
लेंस से प्रतिबिंब की दूरी = v
लेंस की फोकस की दूरी = f

इन तीनों के बीच संबंध प्रदर्शित करने वाला समीकरण लेंस सूत्र के नाम से जाना जाता है जो निम्न है

1/f = 1/v – 1/u

Artical By – Roshan Pandey

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