प्रश्न 7. ऊष्मागतिकी के द्वितीय नियम का उल्लेख कीजिए। अथवा ऊष्मागतिकी का द्वितीय नियम लिखिए।
उत्तर :- ऊष्मागतिकी का द्वितीय नियम :- ऊष्मागतिकी का प्रथम नियम, यद्यपि ऊर्जा संरक्षण के नियम पर आधारित होता है और इससे प्राप्त परिणाम भी शुद्ध होता है, लेकिन परिणाम अधूरा होता है और यह अधूरा परिणाम हमें ऊष्मागतिकी का द्वितीय नियम देता है। सर्वप्रथम इसे काट (Carnot) ने बताया था। लेकिन बाद में इसकी व्याख्या केल्विन (Kelvin) तथा क्लॉसियस (Clausius) ने की।
क्लॉसियस की व्याख्या :- किसी स्व-कार्यकारी मशीन (self-acting machine) में या किसी निकाय में अथवा वातावरण में, बिना कोई परिवर्तन लाये हुए या बिना किसी बाहरी स्रोत की सहायता के निकाय से कम ताप से उच्च ताप लेकर उसे कार्य में परिवर्तित करना असम्भव है। इसका मतलब है, ऊष्मा कम तापक्रम से उच्च तापक्रम में नहीं बह सकती (बिना किसी बाहरी स्रोत की सहायता लिए)।
केल्विन की व्याख्या :- किसी निकाय में अथवा आस-पास के वातावरण में बिना कोई परिवर्तन लाये हुए, उस निकाय से ऊष्मा लेकर उसे कार्य में परिवर्तित करना असम्भव है। अर्थात् किसी वस्तु को बिना किसी बाह्य स्रोत की सहायता के.. उसके आस-पास के ताप से ठण्डा करके लगातार कार्य प्राप्त करना असम्भव है।