ऊष्मागतिकी का प्रथम नियम समझाइए। यह एक प्रकार से ऊर्जा संरक्षण के सिद्धान्त की पुष्टि करता है, विवेचना कीजिए। इसकी सीमाएँ भी लिखिए

 प्रश्न 5 . ऊष्मागतिकी का प्रथम नियम समझाइए। यह एक प्रकार से ऊर्जा संरक्षण के सिद्धान्त की पुष्टि करता है, विवेचना कीजिए। इसकी सीमाएँ भी लिखिए।




उत्तर :-  जब किसी ऊष्मागतिकी निकाय को ∆Q ऊष्मा दी जाती है तो यह ऊष्मा निम्न दो रूपों में व्यय होती है


(i) निकाय द्वारा कार्य (AW) करने में।

(ii) निकाय की आन्तरिक ऊर्जा (AU) में वृद्धि करने में।

यदि निकाय को दी गई ऊष्मा = ΔQ


तो                                              

AQ = ∆U + ∆W

AU = ∆Q-∆W

      


अर्थात् “किसी ऊष्मागतिकी निकाय को दी जाने वाली ऊष्मा की मात्रा निकाय की आन्तरिक ऊर्जा में वृद्धि (∆U) तथा निकाय द्वारा किये गये कार्य (∆W) के योग के बराबर होती है।”


∆Q=∆U + ∆W


यही ऊष्मागतिकी का प्रथम नियम है। यह नियम ऊर्जा संरक्षण के नियम का ही एक रूप है।


नियम की सीमाएँ ऊष्मागतिकी का प्रथम  :- नियम ऊष्मा व यांत्रिक कार्य के मध्य सम्बन्ध स्थापित करता है 

अर्थात् dQ = dU + dw




फिर भी इस नियम की निम्न सीमाएँ निम्नलिखित हैं


1. ऊष्मागतिकी के प्रथम नियम से ऊष्मा स्त्रोत की कोई जानकारी नहीं मिलती है अर्थात् स्रोत गर्म है या ठण्डा, इसका पता नहीं चल पाता है।


2. यह नियम ऊष्मा के प्रवाह की दिशा के बारे में कुछ नहीं बताता है। प्रयोगों द्वारा सिद्ध किया गया है कि अधिक ताप से कम ताप की ओर ऊष्मा प्रवाहित होती है व कम ताप से अधिक ताप की ओर ऊष्मा प्रवाहित नहीं होती है, परन्तु दोनों स्थितियों में यह नियम लागू होता है।


3. यह नियम स्पष्ट नहीं करता है कि सम्पूर्ण ऊष्मा को कार्य में या सम्पूर्ण कार्य को ऊष्मा में परिवर्तित किया जा सकता है या नहीं।

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