प्रश्न 6. आन्तरिक ऊर्जा से आप क्या समझते हैं?
आन्तरिक ऊर्जा :-
यह निकाय की गुप्त या छिपी हुई ऊर्जा होती है जो सदैव निकाय में ही निहित रहती है। साधारणतः इसका आभास नहीं हो पाता। यह निकाय की अवस्था का अभिलाक्षणिक गुण है। यह पदार्थ के अणुओं और परमाणुओं के कारण होती है।
“किसी पदार्थ के अणुओं और परमाणुओं की कुल गतिज ऊर्जा (रेखीय गति + घूर्णन गति + कम्पन गति की गतिज ऊर्जा) तथा स्थितिज ऊर्जा के योग को उस पदार्थ की आन्तरिक ऊर्जा कहते हैं।“ इसे सामान्यत: U से प्रदर्शित करते हैं।
U = Uk + Up
जहाँ, Uk = गतिज ऊर्जा, Up = स्थितिज ऊर्जा
चूँकि प्रत्येक पदार्थ छोटे-छोटे अणुओं से मिलकर बना है। अतः अणुओं की गतिज ऊर्जा उस पदार्थ के ताप पर तथा स्थितिज ऊर्जा अणुओं के मध्य दूरी तथा आकर्षण बल पर निर्भर करती है।