संकरण क्या है? sp, sp² तथा sp³ संकरण को एक उदाहरण सहित समझाइए || कक्षकों के संकरण से आप क्या समझते है? sp, sp² तथा sp³ संकरण को उदाहरण देकर समझाइए ||

 प्रश्न . कक्षकों के संकरण से आप क्या समझते है? sp, sp² तथा sp³ संकरण को उदाहरण देकर समझाइए

 अथवा

 संकरण क्या है? Sp³ संकरण को एक उदाहरण सहित समझाइए।





उत्तर :- संकरण किसी परमाणु की बाह्यतम कक्ष के भिन्न-भिन्न ऊर्जा के दो या दो-से-अधिक परमाणु कक्षक जब परस्पर मिश्रित होकर समान ऊर्जा के दो या दो-से-अधिक नए कक्षक बनाते है तो इस प्रक्रम को परमाणु कक्षकों का संकरण कहते हैं तथा नई कक्षों को संकरित कक्षक कहते हैं। किसी परमाणु के n कक्षकों के संकरण से n संकरण कक्षक बनते हैं। संकरण कक्षक से   सिग्मा बन्ध बनते हैं।


जैसे— कार्बन का मूल इलेक्ट्रॉनिक विन्यास निम्नलिखित है

इसमें केवल दो संयोजी इलेक्ट्रॉन हैं, जबकि चार संयोजी इलेक्ट्रॉन होने चाहिए क्योंकि कार्बन की सयोजकता चार होती है। यह माना जाता है कि 2s इलेक्ट्रॉनों में से एक इलेक्ट्रॉन उत्तेजित होकर Py कक्षक में चला जाता है, अत: इलेक्ट्रॉनिक विन्यास निम्नांकित होता है—

ये चारों संयोजकताएँ समान नहीं हैं, क्योंकि s व p कक्षकों की ऊर्जाएँ भिन्न-भिन्न होती हैं। इस कारण ये चारों इलेक्ट्रॉन कक्षक मिश्रित होकर चार नए कक्षक बनाते हैं, जो सब समान होते हैं। ये चारों कक्षक समचतुष्फलक के चारों कोनों की ओर निर्देशित होते हैं और कार्बन परमाणु केन्द्र पर स्थित होता है। किन्हीं दो कक्षकों के बीच 109°28′ का कोण होता है। संकरण से सम्बन्धित कुछ मुख्य तथ्य निम्नवत् हैं


1. एक ही परमाणु अथवा आयन के ऐसे कक्षक जिनकी ऊर्जाएँ लगभग समान होती हैं, संकरण में भाग लेते हैं। 

2. संकर कक्षकों की संख्या संकरण की प्रक्रिया में भाग लेने वाले कक्षकों की संख्या के समान होती है।

3. संकर कक्षक सदैव समान ऊर्जा तथा आकृति के होते हैं।

4. संकर कक्षक स्थायी आबन्ध बनाने में शुद्ध कक्षकों की अपेक्षा अधिक सक्षम होते हैं। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि संकर कक्षकों में अतिव्यापन अधिक होता है।

5. खाली, अर्द्धपूरित तथा पूर्ण रूप से भरे हुए तीनों ही प्रकार के कक्षक संकरण में भाग ले सकते हैं। 6. यह अनिवार्य नहीं है कि सभी अर्द्धपूरित कक्षक ही संकरण में भाग लें।

7. संकर कक्षक स्थायी अवस्था पाने के लिए त्रिविम में विशिष्ट दिशाओं में निर्देशित होते हैं। इसलिए संकरण का प्रकार अणु की ज्यामिति दर्शाता है।

8. s तथा p कक्षकों के संकर कक्षक की आकृति p-कक्षक के समान ही होती है परन्तु उसमें एक पाली छोटी तथा दूसरी बड़ी होती है।



संकरण के प्रकार :-

संकरण के प्रकार निम्नलिखित हैं


1. sp संकरण अथवा विकर्ण संकरण – इस प्रकार के संकरण में परमाणु की संयोजी कोश के एक तथा एक P कक्षक मिश्रित होकर दो समान sp संकर कक्षकों का निर्माण करते हैं। ये संकर कक्षक अन्तराकाश में 180° के कोण पर विन्यसित रहते हैं। प्रत्येक sp संकर कक्षक में समान s और p लक्षण होता है, अर्थात् 50% (1/2) S लक्षण तथा 50%(1/2) p-लक्षण  ऐसे अणु जिनके sp संकरित केन्द्रीय परमाणु से दो अन्य परमाणु सीधे जुड़े होते हैं, रैखिक (linear) होते हैं।




उदाहरणार्थ- बेरीलियम क्लोराइड (BeCl2) अणु का विरचन :- तलस्थ अवस्था में Be का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 1s²2s² होता है। उत्तेजित अवस्था में एक 2s इलेक्ट्रॉन रिक्त 2p कक्षक में Be की द्वि-संयोजकता के कारण प्रोन्नत (promote) हो जाता है। एक 2s कक्षक तथा एक 2p कक्षक संकरित होकर दो sp संकर कक्षक बनाते हैं। ये 180° का कोण बनाते हैं। प्रत्येक sp संकर कक्षक क्लोरीन के 2p कक्षक से अक्षीय अतिव्यापन द्वारा दो Be-CI सिग्मा आबंध बनाते है। इसे अग्र चित्र में दर्शाया गया है




2. sp2 संकरण अथवा त्रिकोणीय संकरण :- इस प्रकार के संकरण में परमाणु के संयोजी कोश के एक s तथा दो p कक्षक मिश्रित होकर तीन समान sp 2 संकर कक्षकों का निर्माण करते हैं। sp 2 संकर कक्षक एक ही तल में होते हैं तथा एक समबाहु त्रिभुज के शीर्षो (vertices) की ओर निर्देशित होते हैं, अर्थात् उनके बीच 120° का कोण होता है। (3) प्रत्येक sp2 संकर कक्षक में 33% (1/3) s-लक्षण तथा 67% (2/3) p-लक्षण होता है। ऐसे अणु जिनके sp² संकरित केन्द्रीय परमाणु से तीन अन्य परमाणु सीधे जुड़े होते हैं, की आकृति त्रिकोणीय समतली होती है।


उदाहरणार्थ- बोरॉन ट्राइफ्लुओराइड (BF3) अणु का विरचन :-  उत्तेजित अवस्था में बोरॉन का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 1s¹,2s¹2p¹x 2p¹y होता है। उत्तेजित बोरॉन परमाणु का एक 2s कक्षक दो p कक्षकों के साथ sp² संकरण द्वारा तीन समान sp² संकर कक्षक बनाता है। ये sp² संकर कक्षक एक ही तल में होते हैं तथा इनके बीच 120° का कोण होता है। बोरॉन का प्रत्येक sp2 संकर कक्षक फ्लुओरीन परमाणु के अर्द्धपूरित कक्षक से अक्षीय अतिव्यापन (axial overlapping) करके सिग्मा आबन्ध (sigma bond) बनाता है। इस प्रकार कुल तीन B–F सिग्मा आबन्ध बनते हैं। प्रत्येक F—B–F आबन्ध कोण का मान 120° होता है, अतः BF3) अणु त्रिकोणीय समतली (triangular planar) होता है।

3. sp3 संकरण अथवा चतुष्फलकीय संकरण :-  इस संकरण में परमाणु के संयोजी कोश के एक कक्षक और के तीन p कक्षक मिश्रित होकर चार समान sp³ संकर कक्षक बनाते हैं। ये संकर कक्षक एक चतुष्फलक (tetrahedron) के चार कोनों की ओर निर्दिष्ट होते हैं तथा उनके बीच 109°28` का कोण होता है। प्रत्येक sp³ संकर कक्षक में 25% ( 1/4 )  s-लक्षण तथा 75% (3/4) p- लक्षण होता है। ऐसे अणु जिनमें केन्द्रीय sp³ संकरित परमाणु चार परमाणुओं से जुड़ा होता है, चतुष्फलकीय (tetrahedral) होते हैं।




उदाहरणार्थ –(i) मेथेन (CH4) अणु का विरचन :-  कार्बन का उत्तेजित अवस्था में इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 1s², 2s¹ 2px¹2py¹ 2pz¹ होता है। इसमें एक 2s तथा तीन 2p कक्षक (2px¹, 2py¹ तथा 2pz¹ ) संकरित होकर चार sp³ संकर कक्षक बनाते हैं। ये चार संकर कक्षक चतुष्फलक के चार कोनों की ओर होते हैं तथा इनके बीच 109°28` का कोण होता है। ये चार sp³ संकर कक्षक हाइड्रोजन के चार परमाणुओं के अर्द्धपूरित 1s कक्षकों से अक्षीय अतिव्यापन करके सिग्मा आबन्ध बनाते हैं। इस प्रकार बना CH4 अणु चतुष्फलकीय होता है तथा इसके प्रत्येक H–C–H कोण का मान 109°28` होता है।



(ii) अमोनिया (NH3) अणु का विरचन Formation of ammonia molecule :

 नाइट्रोजन परमाणु का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 1s², 2s²2px¹2py¹ 2pz¹ होता है। इसका एक 2s तथा तीन 2p कक्षक sp³ संकरण द्वारा चार sp³ संकर कक्षक बनाते हैं। संकर कक्षक चतुष्फलक के कोनों की ओर होते हैं तथा इनके बीच कोण 109°28` होना चाहिए। इन चार sp³ संकर कक्षकों में से तीन sp³ संकर कक्षकों में अयुग्मित इलेक्ट्रॉन होते हैं तथा चौथे sp³ संकर कक्षक में एक एकाकी इलेक्ट्रॉन युग्म होता है। एकाकी इलेक्ट्रॉन युग्म वाला कक्षक आवन्ध निर्माण में भाग नहीं ले सकता है। शेष तीन sp³ संकर कक्षक तीन हाइड्रोजन परमाणुओं के 1s कक्षकों के साथ अतिव्यापन द्वारा NH आबन्ध बनाते हैं। इस प्रकार बने NH3 अणु में H— N—H आवन्ध कोण का मान 109°28` होना चाहिए परन्तु एकाकी युग्म के आबन्धी युग्मों पर प्रतिकर्षण के कारण आबन्ध कोण का मान 109°28` से घटकर 107° हो जाता है।


ऐसे में अणु की ज्यामिति विकृत होकर त्रिकोणीय पिरामिडी (trigonal pyramidal) हो जाती है। NF3, PCI5 आदि की यह त्रिकोणीय पिरामिडी आकृति भी इसी कारण से होती है




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