बोर के परमाणु माण्डल का वर्णन कीजिए तथा उसकी सीमाएँ भी लिखिए || पूरी जानकारी हिंदी में

 Q 4.  बोर के परमाणु माण्डल का वर्णन कीजिए तथा उसकी सीमाएँ भी लिखिए





उत्तर :- बोर का परमाणु मॉडल :- 


यह प्लांक के क्वाण्टम सिद्धान्त (Planck’s quantum theory) पर आधारित है। यह दरफोर्ड के परमाणु मॉडल में पाये जाने वाले दोषों को दूर करता है और परमाणु के स्थायित्व व उसके रैक्षिक स्पेक्ट्रम की व्याख्या करता है। नील बोर (Neils Bohr, 1913) ने परमाणु संरचना के सम्बन्ध में निम्नलिखित अभिकल्पनाएँ (assumptions) प्रस्तुत की


1. इलेक्ट्रॉन नाभिक के चारों ओर किसी विशेष तृतीय कक्ष (circular orbit) में बिना ऊर्जा का उत्सर्जन (emission) किये चक्कर लगाते रहते हैं। इन कक्षों को स्थायी कक्षाएँ (stationary orbits) कहते हैं।


2. नाभिक के चारों ओर अनेक वृत्तीय कक्षाएँ सम्भव है परन्तु इलेक्ट्रॉन इन सभी सम्भव कक्षाओं में चक्कर नहीं लगाते हैं। इलेक्ट्रॉन केवल उसी कक्षा में चक्कर लगाते हैं जिसमें उसका कोणीय संवेग (angular momentum) h/2π का गुणित (integral multiple) होता है।



यदि m द्रव्यमान का इलेक्ट्रॉन, r त्रिज्या वाली कक्षा में v वेग से घूमता है तो इलेक्ट्रॉन का

कोणीय संवेग mvr = nh/2π


जहाँ h प्लांक नियतांक है।


n स्थायी कक्षा की क्रम संख्या (principal quantum number) है।

n = 1,2,3,… या K, L., M, N… n यदि किसी इलेक्ट्रॉन का कोणीय संवेग h/2n है तो वह परमाणु के K-कोश में चक्कर लगाता है। इसी प्रकार यदि किसी इलेक्ट्रॉन का कोणीय संवेग 2h/2π अर्थात् h/π है


 तो वह परमाणु के L- कोश (n = 2) में चक्कर लगाता है।





3. प्रत्येक स्थायी कक्षा की एक निश्चित ऊर्जा होती है। इसलिए इन कक्षाओं को ऊर्जा स्तर (energy level) भी कहते हैं। जैसे-जैसे मुख्य क्वाण्टम संख्या (n) का मान बढ़ता है, वैसे-वैसे स्थायी कक्षा की त्रिज्या (r) और उसकी ऊर्जा (E) का मान बढ़ता जाता है। जब तक इलेक्ट्रॉन एक निश्चित ऊर्जा वाली. स्थायी कक्षा में घूमता रहता है तो वह ऊर्जा का शोषण या उत्सर्जन नहीं कर सकते हैं 


4. जब कोई इलेक्ट्रॉन एक स्थायी कक्षा (ऊर्जा स्तर) से दूसरी स्थायी कक्षा (ऊर्जा स्तर) में कूदता है तो दोनों ऊर्जा स्तरों की ऊर्जा का अन्तर (∆E) एक विकिरण के रूप में अवशोषित (absorb) या उत्सर्जित (emit) होता है। इस विकिरण की आवृत्ति (v) या तरंगदैर्घ्य का मान निम्नलिखित समीकरण से निकाल सकते हैं  


         É2 – É = (∆E)= hv = hc/λ           


जब इलेक्ट्रॉन एक न्यून ऊर्जा (E1) के स्तर से एक उच्च ऊर्जा (E2) के स्तर में कूदता है तो परमाणु द्वारा ∆E ऊर्जा अवशोषित होती है। इसके विपरीत यदि इलेक्ट्रॉन एक-उच्च ऊर्जा (E2) स्तर से एक न्यून ऊर्जा (E1) के स्तर में कूदता है तो ऊर्जा विकिरण के रूप में परमाणु द्वारा उत्सर्जित होती है।


5. इन परिवर्तनों के फलस्वरूप प्राप्त स्पेक्ट्रम में निश्चित आवृति की रेखायें (lines) उत्पन्न होती है। इस प्रकार यह मॉडल परमाणु के रैखिक स्पेक्ट्रम की व्याख्या करता है।

परमाणु में इलेक्ट्रॉन हमेशा निम्नतम ऊर्जा वाली कक्षाओं में रहते हैं। इस अवस्था को परमाणु की आद्य अवस्था (ground state) कहते हैं। बाहर से ऊर्जा देने पर इलेक्ट्रॉन उत्तेजित (excite) होकर अधिक ऊर्जा वाली कक्षाओं में कूद जाते हैं। परमाणु की इस अवस्था को उत्तेजित अवस्था (excited state) कहते हैं। परमाणु को बाहर से बहुत अधिक ऊर्जा देने पर इलेक्ट्रान परमाणु को छोड़कर उससे बाहर निकल जाते हैं और धनायन (cation) प्राप्त होते हैं। 



सीमाएँ 


बोर के परमाणु मॉडल की सीमाएँ निम्नवत् है


1. बोर का परमाणु मॉडल केवल उन परमाणुओं और आयनों के स्पेक्ट्रम की व्याख्या करता है जिनमें केवल एक इलेक्ट्रॉन होता है, जैसे-H-परमाणु, He और Li” आयन। यह उन निकायों (systems) की व्याख्या नहीं करता जिनमें एक से अधिक इलेक्ट्रॉन होते हैं। जैसे-N, O, Cl आदि। 


2. बोर के सिद्धान्त द्वारा जीमन प्रभाव (Zeeman effect) और स्टार्क प्रभाव (Stark effect) की व्याख्या नहीं की जा सकती है। जिस वस्तु से विकिरण का उत्सर्जन हो रहा है, उस वस्तु को चुम्बकीय क्षेत्र में रखने पर उसकी स्पेक्ट्रम रेखाएँ विभक्त (split) हो जाती हैं। इस प्रकार स्पेक्ट्रम रेखाओं का चुम्बकीय क्षेत्र में विभक्त होना जीमन-प्रभाव (Zeeman effect) कहलाता है।


इसी प्रकार वैद्युत क्षेत्र में स्पेक्ट्रम रेखाओं का विभक्त होना स्टार्क प्रभाव कहलाता है।


3. जब हाइड्रोजन के स्पेक्ट्रम का अध्ययन उच्च विभेदन क्षमता (high resolving power) वाले स्पेक्ट्रोस्कोप (spectroscope) से करते हैं तो यह पाया जाता है कि प्रत्येक एकल रेखा (single line) वास्तव में कई सूक्ष्म रेखाओं (fine lines) से मिलकर बनी हैं। हाइड्रोजन स्पेक्ट्रम में इन सूक्ष्म रेखाओं को हाइड्रोजन परमाणु का सूक्ष्म स्पेक्ट्रम (fine spectrum of H-atom) कहते हैं। बोर का परमाणु मॉडल इसकी व्याख्या नही कर सकता है


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