प्रकाश – जिस की अनुपस्थिति में पूरे संसार का अस्तित्व लगभग समाप्त सा लगता है उस प्रकाश की परिभाषा जाननी अत्यंत आवश्यक है साथ ही साथ प्रकाश से संबंधित विभिन्न घटनाएं जैसे प्रकाश का परावर्तन क्या है इसके बारे में पूरी जानकारी इस पोस्ट के जरिए हम आप सभी तक प्रस्तुत कर रहे हैं अतः इसे ध्यान से जरूर पढ़ें
प्रकाश (Light)
प्रकाश एक प्रकार की ऊर्जा है। इसके कारण हमें वस्तुएँ दिखाई देती हैं। यह विद्युत चुम्बकीय तरंगों के रूप में चलता है। प्रकाश निर्वात् में भी गमन कर सकता है। निर्वात में प्रकाश की चाल 3×10⁸ मी/से होती है। जल में प्रकाश की चाल 2.25×10⁸ मी/से होती है। प्रकाश तंरगे अनुप्रस्थ होती हैं।
प्रदीप्त वस्तुएँ :- जो वस्तुएँ स्वयं प्रकाश उत्पन्न करती हैं प्रदीप्त वस्तुएँ कहलाती हैं। जैसे सूर्य, तारें, जलता हुआ कोयला तथा जलती हुई मोमबत्ती आदि।
अदीप्त वस्तुएँ :- जो वस्तुएँ अन्धेरे में दिखाई नहीं देती अदीप्त वस्तुएँ कहलाती हैं। जैसे-मेज, कुर्सी आदि।
प्रदीप्त वस्तु के प्रत्येक बिन्दु से अनन्त किरणें निकलती हैं। इस किरण समुदाय को किरण पुँज कहते हैं। ये किरणें तीन प्रकार की होती हैं
प्रकाश का परावर्तन
जब प्रकाश किसी पॉलिशदार या चिकने तल पर गिरता है तो उस का अधिकांश भाग तल से टकराकर उसी माध्यम में वापस लौट आता है प्रकाश के चिकने या पॉलिशदार तल से टकराकर लौटने की इस प्रक्रिया को प्रकाश का परावर्तन कहते हैं
• चिकने तल पर टकराने के लिए आने वाली किरणों को आपतित किरण तथा चिकने तल से टकराकर वापस जाने वाली किरणों को परावर्तित किरण कहते हैं
• आपतित किरण पारदर्शी तल के जिस बिंदु पर टकराता है उसे आपतन बिंदु कहते हैं इसी बिंदु पर पारदर्शी तल के लंबवत एक लंब होता है जिसे अभिलंब कहते हैं
• आपतित किरण तथा अभिलंब के बीच के कोण को आपतन कोण तथा परावर्तित किरण और अभिलंब के बीच के कोण को परावर्तन कोण कहते हैं
परावर्तन के नियम
(i) आपतित किरण, परावर्तित किरण तथा अभिलम्ब तीनों एक ही तल में होते हैं।
(ii) परावर्तन कोण सदैव आपतन कोण के बराबर होता है।
प्रतिबिम्ब
जब प्रकाश की किरणें एक बिन्दु से चलकर परावर्तन के पश्चात् किसी दूसरे बिन्दु पर मिलती हैं तो इस दूसरे बिन्दु को पहले बिन्दु का प्रतिबिम्ब कहते हैं।
प्रतिबिम्ब दो प्रकार के होते हैं
1. वास्तविक प्रतिबिम्ब :- जब परावर्तन के बाद प्रकाश की किरणें वास्तव में मिलती हैं, तो प्रतिबिम्ब वास्तविक कहलाता है। वास्तविक प्रतिबिम्ब को पर्दे पर लिया जा सकता है तथा यह सदैव उल्टा बनता है।
2. आभासी प्रतिबिम्ब :- जब परावर्तन के बाद प्रकाश की किरणें वास्तव में नहीं मिलती बल्कि मिलती हुई प्रतीत होती हैं, तो प्रतिबिम्ब आभासी कहलाता है। इसे पर्दे पर नहीं लिया जा सकता है तथा यह सदैव सीधा होता है। समतल दर्पण से बना प्रतिबिम्ब सदैव आभासी होता है।