ओम का नियम क्या है ? ओम के नियम की परिभाषा || ओम के नियम की सीमाएं || प्रतिरोध की परिभाषा || ओम के नियम की पूरी जानकारी हिंदी में

अगर आप ओम का नियम जानना चाहते हैं और सबसे आसान तरीके से जानना चाहते हैं तो आप बिल्कुल सही जगह आए हैं  यहां पर आपको ओम का नियम , ओम के नियम का सूत्र , प्रतिरोध, प्रतिरोध का मात्रक, ओम के नियम की सीमाएं सभी टॉपिक पर अच्छी जानकारी दी गई है इसलिए इसे पढ़ें और अच्छे से याद रखें








 ओम का नियम


ओम के नियम के अनुसार, यदि किसी चालक की भौतिक अवस्थाएँ (जैसे–लम्बाई, परिच्छेद का क्षेत्रफल, चालक का पदार्थ व ताप) अपरिवर्तित रहें, तो चालक में बहने वाली धारा, चालक के सिरों के विभवान्तर के अनुक्रमानुपाती होती है। यदि किसी चालक के सिरों पर लगा विभवान्तर V तथा उसमें बहने वाली धारा i हो,


V ∝ I

V = IR


जहाँ, R एक नियतांक है, जिसका मान चालक के आकार (लम्बाई व अनुप्रस्थ-काट के क्षेत्रफल), पदार्थ व ताप पर निर्भर करता है। इसे चालक का वैद्युत प्रतिरोध कहते हैं। ओम का नियम केवल धात्विक चालकों तथा मिश्र धातु चालकों के लिए ही सत्य है।




V-I ग्राफ


यदि विभवान्तर (V) और इसके संगत धारा (I) के मध्य आलेख खींचा जाता है, तो आलेख में एक सरल रेखा प्राप्त होती है, जोकि मूलबिन्दु से जाती है।


 





ओम के नियम के अनुप्रयोग 


ओम के नियम के मुख्य अनुप्रयोग हैं:


1- विद्युत परिपथ के वोल्टेज, प्रतिरोध या धारा का निर्धारण करने के लिए।

2- ओम के नियम का उपयोग इलेक्ट्रॉनिक घटकों में वांछित वोल्टेज ड्रॉप को बनाए रखने के लिए किया जाता है।

3- ओम के नियम का उपयोग डीसी एमीटर और अन्य डीसी शंट में करंट को डायवर्ट करने के लिए भी किया जाता है।



ओम के नियम की सीमाएं


ओम के नियम की सीमाएँ निम्नलिखित हैं:


1- ओम का नियम डायोड और ट्रांजिस्टर जैसे एकतरफा विद्युत तत्वों के लिए लागू नहीं होता है क्योंकि वे करंट को केवल एक दिशा में प्रवाहित होने देते हैं।

2- गैर-रैखिक विद्युत तत्वों के लिए समाई, प्रतिरोध आदि जैसे मापदंडों के साथ वोल्टेज और करंट समय के संबंध में स्थिर नहीं होगा जिससे ओम के नियम का उपयोग करना मुश्किल हो जाता है।



वैद्युत प्रतिरोध


किसी चालक का वह गुण, जिसके कारण वह वैद्युत धारा के प्रवाह का विरोध करता

है, चालक का प्रतिरोध अथवा वैद्युत प्रतिरोध कहलाता है। इसे R से व्यक्त करते हैं।

अर्थात्


     प्रतिरोध (R) =विभवान्तर (V)/धारा (I)


प्रतिरोध का मात्रक वोल्ट/ऐम्पियर अथवा ओम होता है।


1 मेगाओम = 10⁶ ओम, 1 माइक्रोओम=10-⁶ ओम



किसी चालक का प्रतिरोध लम्बाई, क्षेत्रफल, ताप व चालक के पदार्थ पर निर्भर

करता है। ताप व लम्बाई बढ़ाने पर प्रतिरोध बढ़ता है, जबकि क्षेत्रफल बढ़ाने पर

प्रतिरोध घटता है।

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