|मापन पूरा चैप्टर हिंदी में | महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर + थ्योरी || Polytechnic 2022 Physics – Measurement Full Chapter | Theory + Question Answer || पॉलिटेक्निक प्रवेश परीक्षा 2022

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मापन पूरा चैप्टर हिंदी में

 

 

परिचय 

 

किसी भौतिक राशि को मापने के लिए एक मानक मात्रक की आवश्यकता होती है। किसी भौतिक राशि का मापन निम्न दो भागों में व्यक्त किया जाता है

 

1. आंकिक मान – जो उस राशि के परिमाण को प्रदर्शित करता है अर्थात् बताता है कि उस राशि में उसका मात्रक कितनी बार सम्मिलित है।

 

2. मात्रक (Units) – राशि के मात्रक का नाम जिसमें वह भौतिक राशि मापी जाती है। किसी भौतिक राशि का आंकिक मान उसके मात्रक के व्युत्क्रमानुपाती होता है।

 

 

 राशियाँ तथा मात्रक 

 

भौतिकी में निम्नलिखित तीन राशियाँ हैं

 

1. मूल राशियाँ तथा मूल मात्रक – वे भौतिक राशियाँ जो एक-दूसरे से स्वतन्त्र होती हैं, मूल राशियाँ कहलाती हैं। लम्बाई, द्रव्यमान, समय, वैद्युत धारा, ताप, ज्योति तीव्रता तथा पदार्थ की मात्रा मूल राशियाँ हैं। मूल राशियों को व्यक्त करने के लिए प्रयुक्त मात्रक मूल मात्रक कहलाते हैं। मीटर, किलोग्राम, सेकण्ड, केल्विन, कैण्डेला, ऐम्पियर तथा मोल मूल मात्रक हैं।

 

2. पूरक राशियाँ तथा मात्रक – वे राशियाँ जिनके मात्रक तो होते हैं परन्तु विमाएँ नहीं होती हैं, पूरक राशियाँ कहलाती हैं। तलीय कोण तथा घन कोण पूरक राशियाँ हैं तथा इनके मात्रक क्रमशः रेडियन तथा स्टेरेडियन हैं।

 

 

 

 

 

 

3. व्युत्पन्न राशियाँ तथा मात्रक  – वे राशियाँ जो मूल राशियों की सहायता से प्राप्त होती हैं, व्युत्पन्न राशियाँ कहलाती हैं। जैसे क्षेत्रफल, आयतन, दाब, चाल आदि व्युत्पन्न राशियाँ हैं। व्युत्पन्न राशियों को व्यक्त करने के लिए प्रयुक्त किए जाने वाले मात्रक व्युत्पन्न मात्रक कहलाते हैं। ये मात्रक मूल मात्रकों की सहायता से प्राप्त किए जाते हैं। जैसे- क्षेत्रफल का मात्रक मीटर है जो मूल मात्रक से प्राप्त किया गया है।

 

 

 

 मात्रकों की पद्धति 

 

सभी प्रकार की भौतिक राशियों के लिए मूलभूत तथा व्युत्पन्न दोनों मात्रकों का समुच्चय मात्रकों की पद्धति कहलाता है। प्रचलित पद्धतियाँ निम्न हैं

 

• CGS पद्धति –  यह पद्धति मात्रकों की गॉसीय पद्धति भी कहलाती है। इसमें लम्बाई, द्रव्यमान तथा समय को क्रमशः सेन्टीमीटर (cm), ग्राम (g) तथा सेकण्ड (s) मात्रकों में मापा जाता है।

 

• MKS पद्धति – यह पद्धति जॉर्जी पद्धति भी कहलाती है। इसमें लम्बाई, द्रव्यमान व समय के मात्रक क्रमश: मीटर, किलोग्राम सेकण्ड होते हैं।

 

• FPS पद्धति – इस पद्धति में लम्बाई, द्रव्यमान तथा समय के मात्रक क्रमशः फुट, पॉउण्ड तथा सेकण्ड होते हैं।

• SI पद्धति – यह मात्रकों की अन्तर्राष्ट्रीय पद्धति है तथा सम्पूर्ण भौतिकी में प्रयुक्त होने वाली विस्तृत पद्धति है। इसे आधुनिक MKS पद्धति कहते हैं।

 

SI पद्धति में सात मूलभूत राशियाँ हैं। ये राशियाँ तथा इनके मात्रक निम्न तालिका में दिए गए हैं

मूल मात्रकों की SI प्रणाली

लम्बाई, द्रव्यमान तथा समय के अन्य मात्रक

लम्बाई के मात्रक

 

  • 1 माइक्रोन  = 10-⁶ मी
  • 1 सेन्टीमीटर= 10-² मी
  • 1 मेगामीटर = 10⁶ मी
  • 1 टेरोमीटर= 10¹² मी
  • 1 ऐंग्स्ट्रॉम (Å) = 10-¹⁰ मी
  • 1 नैनोमीटर (nm)=10 -9 मी
  • 1 मिलीमीटर (mm) = 10-³ मी
  • 1 किलोमीटर = 10³ मी   
  • 1जीगामीटर =10⁹ मी
  • 1 प्रकाश वर्ष = 9.46 x 10¹⁵ मी

 

 

द्रव्यमान के मात्रक

  • 1 माइक्रोग्राम (ug) = 10-⁶किग्रा
  • 1मिलीग्राम(mg)=10-³ किग्रा
  • 1 ग्राम (g) = 10-³ किग्रा
  • 1 कुन्तल (qt) = 10² किग्रा
  • 1 मीट्रिक टन (mt) = 10³किग्रा

 

 

 

 वर्नियर कैलिपर्स का अल्पतमांक

 

1. वर्नियर पैमाने के एक भाग की लम्बाई मुख्य पैमाने के एक भाग की लम्बाई से कम होती है। इस अन्तर को वर्नियर का अल्पतमांक कहते हैं। यदि वर्नियर पैमाने के n भाग, मुख्य पैमाने के (n – 1) भागों के बराबर हैं, तब वर्नियर पैमाने का एक भाग = मुख्य पैमाने के [ n – 1 / n] भाग

 

.: अल्पतमांक = मुख्य पैमाने का एक भाग वर्नियर पैमाने का एक भाग  = मुख्य पैमाने के [n – 1/n]  भाग

 

: बर्नियर पैमाने का अल्पतमांक = मुख्य पैमाने के एक भाग की लम्बाई / वर्नियर पैमाने पर भागों की संख्या

 

 

2. वर्नियर कैलिपर्स के दोनों जबड़ों को आपस में स्पर्श कराने पर यदि मुख्य पैमाने की शून्य रेखा, वर्नियर पैमाने की शून्य रेखा के ठीक सीध में न हो, तो यह दोष शून्यांक त्रुटि कहलाता है।

 

 प्रेक्षित लम्बाई = मुख्य पैमाने की माप + (वर्नियर का मिलने वाला चिह्न x (अल्पतमांक)

 

 वास्तविक लम्बाई = प्रेक्षित लम्बाई – शून्यांक त्रुटि (चिह्न सहित)

 

यथार्थता की सीमा 

 

किसी यन्त्र की यथार्थता की सीमा उस यन्त्र के अल्पतमांक पर निर्भर करती है। किसी यन्त्र का अल्पतमांक जितना न्यूनतम होगा, उसके द्वारा मापी गई माप उतनी ही यथार्थ होगी।

 

 

 

सार्थक अंक

 

किसी माप को जितने अंकों में शुद्ध रूप में प्राप्त किया जा सकता है अर्थात् उन अंकों की संख्या को जिनके द्वारा किसी राशि को निश्चित रूप से व्यक्त किया जा सकता है, सार्थक अंक कहते हैं।

 

किसी माप में सार्थक अंकों को ज्ञात करने के लिए अग्रलिखित बातें ध्यान में रखते हैं

 

• 10 की घातों के गुणनफल का सार्थक अंकों की संख्या पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। जैसे- 8.2 x 10² तथा 8.2 x 10⁴ में सार्थक अंकों की संख्या दो है। दो अशून्य अंकों के बीच सभी शून्य अंक सार्थक होते हैं। जैसे- 50.002 में 5 सार्थक अंक हैं।

 

• यदि दशमलव बिन्दु के पहले अशून्य अंक नहीं है, तो दशमलव के तुरन्त बाद के शून्य अंकों को छोड़कर सभी अंक सार्थक होते हैं। जैसे- 0.024 तथा 0.07284 में क्रमश: 2 तथा 4 सार्थक अंक हैं।

 

• यदि दशमलव से पहले कोई अशून्य अंक है तब दशमलव के तुरन्त बाद के शून्य अंक भी सार्थक होते हैं। जैसे-8.00240 में 6 तथा 7.450 x 105 में 4 सार्थक अंक हैं।

 

• जोड़ते तथा घटाते समय किसी भी राशि में दशमलव बिन्दु के बाद जितने कम अंक होते हैं, प्रत्येक माप में दशमलव के बाद उतने ही सार्थक अंक रखने चाहिए जैसे- 84.3+24.32+1234 0.543 का सार्थक अंकों में योग = 84.3 + 24.3 + 12 + 0.5 = 110.3 है।

 

• विभिन्न मापों की गुणा तथा भाग करने पर प्राप्त गुणनफल तथा भागफल में केवल उतने ही सार्थक अंक रखने चाहिए जितने कि सबसे कम सार्थक अंकों वाली माप में हैं।

 

• जैसे- यदि किसी घनाभ की लम्बाई, चौड़ाई तथा ऊँचाई क्रमशः 1.2 सेमी, 1.31 सेमी तथा 1.42 सेमी हैं, तो आयतन 2.232 घन सेमी में 4 अंक हैं लेकिन चूँकि लम्बाई में दो ही सार्थक अंक हैं अतः आयतन में भी दो सार्थक अंक होंगे। अतः आयतन 2.2 घन सेमी लेंगे।

 

 

 

 

परिमाण की कोटि एवं कोटिमान

 

यह किसी परिमाण को सुगमता व सुलभता से दर्शाने के उद्देश्य से कार्य सहायक होता है।

 

यदि किसी परिमाण को निम्नांकित तरीके से लिखा जाए

 

A × 10 B जहाँ, 1≤ A< 10 

 

तथा B एक धनात्मक या ऋणात्मक पूर्णांक है, तो 10B उपरोक्त परिमाण की कोटि

होगा जिसमें से B परिमाण का कोटिमान कहलाएगा।

उदाहरणार्थ पृथ्वी की त्रिज्या, R = 6400 किमी

 

= 6.4 x 10³ किमी

 

यहाँ, R की कोटि 10³ तथा इसका कोटिमान 4 है क्योंकि 6.4, 3.16 से बड़ा है।

 

 

 

 

Q 1.  बालू के एक कण की त्रिज्या 1.6 x 10 -⁴मी है। इस कण की त्रिज्या (ऐंग्स्ट्रॉम में) होंगी

 

(a) 1.6 x 10⁶

(b) 1.4 x 10⁶

(c) 1.5×10⁶

(d) 1.2 x 10⁶

 

Ans – a

 

 

 

 Q 2. एक मिनट में माइक्रो सेकण्ड होते हैं।

 

(a) 7×10⁷माइक्रो सेकण्ड

(b) 6 x 10⁷ माइक्रो सेकण्ड

(c) 8 x 10⁷ माइक्रो सेकण्ड

(d) 5 x 10⁷ माइक्रो सेकण्ड

 

Ans – b

 

 

Q 3.  एक जीवाणु का आकार 1 माइक्रोन है। 1 मी लम्बाई में जीवाणुओं की संख्या होगी

 

(a) 10³

(b) 10-³

(c) 10-6

(d) 10⁶

Ans – d

 

 

Q 4. हाइड्रोजन परमाणु में इलेक्ट्रॉन नाभिक के चारों ओर 10⁶ नैनो सेकण्ड में एक चक्कर लगाता है। इलेक्ट्रॉन एक सेकण्ड में चक्कर लगाता है

 

(a) 10⁶

(b) 10¹⁵

(c) 10⁹

(d) 10¹²

 

Ans – b

 

Q 5.  किसी तारे से पृथ्वी तक प्रकाश के आने में 5 वर्ष लगते हैं। तारे की पृथ्वी से दूरी (किमी में) होगी

 

(a) 3 x 10⁸

(b) 4.73 x 10¹³

(c) 15×10⁸

(d) 9.3×10¹²

 

Ans – b

 

Q 6 एक माइक्रोन में ऐंग्स्ट्रॉम की संख्या होती है

 

(a) 10⁴

(b) 10⁶

(c) 10⁹

(d) 10¹⁰

 

Ans – a

 

 

Q 7.  ऐंग्स्ट्रॉम किस भौतिक राशि का मात्रक है? 

 

(a) ध्वनि के वेग का

(b) प्रकाश के वेग का

(c) प्रकाश की तरंगदैर्ध्य का

(d) इनमें से कोई नहीं

 

Ans – c

 

 

Q 9 . केल्विन किस राशि का मात्रक है?

 

(a) विद्युत धारा का

(b) ज्योति तीव्रता का

(c) ताप का

(d) ऊष्मा का

 

Ans – c

 

 

 Q 8. लकड़ी के एक गुटके की लम्बाई, चौड़ाई तथा ऊँचाई क्रमश: 20 सेमी, 30 सेमी व 10 सेमी हैं। MKS प्रणाली में गुटके का आयतन ज्ञात कीजिए।

 

(a) 6 x 10-³मी ³

(b) 4 x 10-⁴मी ³

(c) 5×10-³ मी ³

(d) 1 x 16-⁶ मी ³

 

Ans – a

 

 

Q 9. एक घन की भुजा 1.2 सेमी मापी गई है। घन का आयतन शुद्ध सार्थक अंकों में बताइए

 

 (a) 1.72 सेमी ³

(b) 1 सेमी ³

(c) 1.7 सेमी ³

(d) 1.72 सेमी ³

Ans – c

 

 

Q 10. लीटर किस पद्धति का मात्र  है

 

(a) मीटरी 

(b) MKS

(C) ब्रिटिश

(d) भारतीय

 

Ans – a

 

 

Q 11 . वर्नियर कैलिपर्स की अल्पतम माप क्या होती है?

 

(a) 0.01 मिमी

(b) 0.05 मिमी

(c) 0.02 मिमी 

(d) इनमें से कोई नहीं

Ans – c

 

 

Q 12 . स्क्रूगेज किस सिद्धान्त पर कार्य करता है ?

 

(a) माइक्रोमीटरी

(b) पेंच

(c) वर्नियर

(d) इनमें से कोई नहीं

 

Ans – b

 

 

Q 13. एक प्रकाश वर्ष में कितने माइक्रोन होते है ?

 

(a) 10²⁰

(b) 10²²

(c) 10¹⁰

(d) 10¹³

 

Ans – b

 

 

Q 15 . किसी धातु के टुकड़े का द्रव्यमान 5.0 ग्राम है तथा आयतन 1.5 सेमी है। धातु के पदार्थ का घनत्व सार्थक अंकों में होगा 

 

(a) 5.0 ग्राम / सेमी ³

(b) 3.33 ग्राम / सेमी ³

 (c) 4. 12 ग्राम / सेमी ³

(d) 3.0 ग्राम / सेमी ³

Ans – b

 

 

Q 15.  0.06050 में सार्थक अंकों की संख्या है।

 

(a) एक

(b) दो

(c) तीन

(d) चार

Ans – d

 

 

 Q 16.  4270 का कोटिमान है

 

(a) 10²

(b) 10³

(c) 10⁴

(d) 10⁵

 

Ans – c

 

 

 

Q 17.  सुग्राही संयन्त्र से मापन करने पर शुद्धता बढ़ जाती है क्योंकि इसकी

 

 

(a) इसकी अच्छी फिनिश है

(b) इसका सार्थक अंक अधिक है

(c) इसकी आंशिक त्रुटि समाप्त कर ली जाती है

(d) उपरोक्त में से कोई नहीं

 

Ans – b

 

 

 

Q 18. पिच्छट त्रुटि का कारण है

 

(a) पेंच का सिरा घिस जाना

(b) पेंच का ढिबरी में ढीला हो जाना

(c) असमान चूड़ी अन्तराल

(d) उपरोक्त में से कोई नहीं

 

Ans – b

 

 

Q 19. गोले की त्रिज्या की मापन में त्रुटि 1% है। इसके आयतन की गणना में त्रुटि होगी

 

 

(a) 7%

(b) 1%

(c) 3%

(d) 5%

 

Ans – c

 

 

Q 20.  0.310 × 10³ में सार्थक अंकों की संख्या क्या है? 

 

(a) 2

(b) 3

(c) 4

(d) 6

 

Ans – b

 

 

Q 21.  कार्य का सी जी एस मात्रक है।

 

(a) न्यूटन

(b) डाइन

(c) अर्ग

(d) जूल

Ans – c

 

 

Q 22. बल का सी जी एस मात्रक है

 

(a) न्यूटन

(b) डाइन

(c) किलोग्राम

(d) इनमें से कोई नहीं

 

Ans – b

 

 

Q 23. वैद्युत विभव का एम के एस मात्रक है

 

(a) वोल्ट

(b) ऐम्पियर

(c) कूलॉम

(d) न्यूटन/कूलॉम

 

Ans – a

 

 

Q 24.  निम्नलिखित में से दूरी का मात्रक नहीं हैं

 

(a) मीटर

(b) न्यूटन

(c) सेण्टीमीटर

(d) फुट

 

Ans – b

 

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