Q 1. वैद्युत बल्ब का सिद्धान्त, संरचना एवं कार्यविधि समझाइए। इसका नामांकित चित्र बनाइए। वैद्युत बल्व में वायु के स्थान पर नाइट्रोजन अथवा ऑर्गन गैस क्यों भरी जाती है?
वैद्युत बल्ब का सिद्धान्त :-
वैद्युत बल्ब धारा के ऊष्मीय प्रभाव पर आधारित है। किसी तार में वैद्युत धारा प्रवाहित करने पर उसमें ऊष्मा उत्पन्न होती है, जिससे तार का ताप बढ़ जाता है तथा बहुत अधिक ताप पर वह श्वेत तप्त होकर चमकने लगता है अर्थात् प्रकाश उत्पन्न होता है।
वैद्युत बल्ब की संरचना :-
यह काँच का एक खोखला गोला होता है। जिसके अन्दर निर्वात् उपस्थित होता है या इसमें कोई निष्क्रिय गैस; जैसे— नाइट्रोजन अथवा ऑर्गन भर देते हैं। इसके ऊपरी भाग पर पीतल की टोपी लगी रहती है, जिसके दोनों ओर दो पिन होती हैं। जो बल्ब को होल्डर में लगाने में सहायक होती है। इसमें काँच की छड़ होती है, जिसके अन्दर ताँबे के मोटे तार होते हैं। तारों के अन्दर वाले सिरों पर टंगस्टन का बारीक तार कुण्डली के रूप में लगा रहता है, जिसे तन्तु कहते हैं। तन्तु टंगस्टन का इसलिए बनाया जाता है, क्योंकि इसके बहुत पतले तार बनाए जा सकते हैं और इसका गलनांक भी बहुत ऊँचा (3400°C) होता है। बल्ब को ऊपर से लाख या चमड़े से बन्द कर दिया जाता है जिससे बाहर की वायु इसमें प्रवेश न कर सके।
कार्यविधि:-
जब वैद्युत धारा बल्ब में प्रवाहित की जाती है, तो टंगस्टन का फिलामेन्ट गर्म होकर चमकने लगता है एवं प्रकाश देने लगता है। इससे वैद्युत ऊर्जा का रूपान्तरण प्रकाश और ऊष्मा में होता है। घरों में प्रयोग किए जाने वाले बल्ब विभिन्न सामर्थ्य के होते हैं। उन पर उनकी सामर्थ्य तथा विभवान्तर लिखे होते हैं।
Q 2 . वैद्युत बल्ब में कौन-सी गैस भरी जाती है और क्यों ?
उत्तर :- साधारण कोटि तथा कम सामर्थ्य के बल्बों के भीतर निर्वात् होता है, परन्तुउच्च सामर्थ्य के बल्बों में निष्क्रिय गैसें; जैसे— नाइट्रोजन अथवा ऑर्गन भरते हैं,जिससे तन्तु का वाष्पीकरण नहीं हो पाता है तथा बल्ब की दक्षता व आयु भी बढ़ जाती है।